कोई भी कार्य जब आनंद के साथ किया जाता है तो परिणाम बेहतर होते हैं....किसी भी कार्य को यदि करने की इच्छा न हो और मजबूरीवश करना पड़े तो कार्य के अंदर आनंद व उत्सुकता स्वयं उत्पन करने से कार्य में धीरे - धीरे रुचि जागृत होने लगती,कोई भी कार्य यद्यपि छोटा या बड़ा नहीं होता,छोटी होती है हमारी सोच और उससे ज्यादा दूसरों की सोच और हम दूसरे के नज़रिए को अपने अंदर यूं बैठा लेते कि कार्य छोटा लगने लगता।हमे लगने लगता कि मैं तो इससे ज्यादा काबिल हूं ये मेरे लायक कार्य नहीं, व बिना रुचि के किया गया कार्य न तो उचित परिणाम देता न स्वयं को संतुष्टि तो बेहतर है चाहे कार्य कोई भी हो उसे खुशी के साथ किया जाए साथ उसमें आनंद की खोज़ कर ली जाए।आपकी सोच किसी भी कार्य को आपके द्वारा ऊंचाइयों तक पहुंचा सकती है।
©Shikha Yadav
#सोच