सालो साल निकल गए,
बदला कुछ नहीं था,
वहीं रात वहीं सुबह की नींद है,
सब कुछ वहीं था....
वक़्त रेत की तरह फिसल रहा था,
तुम फिर उस गाड़ी का इंतजार था,
सोच तुम्हारी वहीं थी,
बस बदला तुम्हारा चेहरा था...
खाबो को पाना तुम्हारी ख्वाइश थी,
पर उसकी जैसे परवरिश ना थी,
कहके भूल जाना आदत थी,
क्युकी तुम आज भी वही हो...
#Realityoflife
sanjeevani gondane
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