"जा तो रहे है धीरे धीरे चलके लेकिन
ये नही पता कि हम कहां चले जा रहे है,
भरोसा है कि मिलेंगे मंजिल कहीं न कहीं मगर
चुभ रहे है कांटे और कुछ दर्द मिले जा रहे है।"
जा तो रहे है धीरे धीरे चलके लेकिन
ये नही पता कि हम कहां चले जा रहे है,
भरोसा है कि मिलेंगे मंजिल कहीं न कहीं मगर
चुभ रहे है कांटे और कुछ दर्द मिले जा रहे है।