जेठ की दोपहरी में तपती रेत पर बारिश की पहली फुहार | हिंदी Quotes

"जेठ की दोपहरी में तपती रेत पर बारिश की पहली फुहार सा आता हूं, उन बेजुबान जीवों को बहुत भाता हूं। पर ऐ मानव में क्यूं तेरे द्वारा व्यर्थ बहाया जाता हूं। ©0162 PY"

 जेठ की दोपहरी में तपती रेत पर बारिश की पहली फुहार सा
आता हूं,
उन बेजुबान जीवों को बहुत भाता हूं।

पर ऐ मानव में क्यूं तेरे द्वारा व्यर्थ बहाया जाता हूं।

©0162 PY

जेठ की दोपहरी में तपती रेत पर बारिश की पहली फुहार सा आता हूं, उन बेजुबान जीवों को बहुत भाता हूं। पर ऐ मानव में क्यूं तेरे द्वारा व्यर्थ बहाया जाता हूं। ©0162 PY

#World_Water_Day

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