यहां हर कदम पे मुसाफिर मिलते जिनका ना कोई एक ठिकान | हिंदी शायरी

"यहां हर कदम पे मुसाफिर मिलते जिनका ना कोई एक ठिकाना है, हमारा पलों का प्यार नहीं, हमें बड़ी दूर तक जाना है। ©Mukesh Pilania"

 यहां हर कदम पे मुसाफिर मिलते
जिनका ना कोई एक ठिकाना है,
हमारा पलों का प्यार नहीं,
हमें बड़ी दूर तक जाना है।

©Mukesh Pilania

यहां हर कदम पे मुसाफिर मिलते जिनका ना कोई एक ठिकाना है, हमारा पलों का प्यार नहीं, हमें बड़ी दूर तक जाना है। ©Mukesh Pilania

#saath

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