"आमने-सामने आमने सामने नहीं रहते है हम,
फिर भी मन्ज़र मे हमारे रहते हो तुम,
कोई शाम ऐसी हो आमने सामने हो हम तुम,
हमें मोहोब्बत का जाम आँखों से पिलाओ तुम,
उस नशे भरी शाम मे मदहोश हो जाए हम तुम,
इस दुनियाँ से दूर अपना एक आशिया बनाए हम,
सबकी आँखों से ओझल होकर एक दूसरे की रूह मे खो जाए हम|
~Halima usmani"