चलने का भी एक अलग मजा है जिसके न तो किसी मंजिल का | हिंदी विचार

"चलने का भी एक अलग मजा है जिसके न तो किसी मंजिल का पता हो और न हीं जिसका कोई जाना पहचाना संगी साथी हो। बस चलते जाना..... कौन जाने वो रास्ता किस नए मुकाम तक पहुंचाए, किस अनजान मुसाफ़िर से उम्र भर की पहचान करवा दे। ©Subh"

 चलने का भी एक अलग मजा है जिसके
न तो किसी मंजिल का पता हो और
न हीं जिसका कोई जाना पहचाना संगी साथी हो।
बस चलते जाना..... कौन जाने वो रास्ता
किस नए मुकाम तक पहुंचाए, किस अनजान
मुसाफ़िर से उम्र भर की पहचान करवा दे।

©Subh

चलने का भी एक अलग मजा है जिसके न तो किसी मंजिल का पता हो और न हीं जिसका कोई जाना पहचाना संगी साथी हो। बस चलते जाना..... कौन जाने वो रास्ता किस नए मुकाम तक पहुंचाए, किस अनजान मुसाफ़िर से उम्र भर की पहचान करवा दे। ©Subh

अनजान रास्ते
#subh #thought_of_the_day

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