सत्संग से दुर्जनों में साधुता आती ही है, साधुओं ही
"सत्संग से दुर्जनों में साधुता आती ही है, साधुओं ही में दुष्टों की संगत से दुष्टता नहीं आती। फूल के गन्ध को मिट्टी ही ले लेती है, मिट्टी के गन्ध को फूल नहीं धारण करते ।
चाणक्य"
सत्संग से दुर्जनों में साधुता आती ही है, साधुओं ही में दुष्टों की संगत से दुष्टता नहीं आती। फूल के गन्ध को मिट्टी ही ले लेती है, मिट्टी के गन्ध को फूल नहीं धारण करते ।
चाणक्य