बस तेरा हामी भर के मुस्कुराना ही काफ़ी है,
मेरे सुकून के लिए ।।
दूर होकर भी, खुदमें तुझको पाना ही, काफ़ी है
मेरे सुकून के लिए ।।
सुबह बस तेरी आवाज़ सुन लेता हूं, दिन का हर
लम्हा खुशियों से भर जाता है ।
दोगुने उत्साह से अपनी मंजिल की तरफ़ बढ़ता हूं ।
मेरे सूनेपन को,तेरे साथ होने का एहसास दिलाना,
ही काफ़ी है,मेरे सुकून के लिए।।
हा ,रातों को नींद नहीं आती है कभी कभी,
जिस रात अपनी मुलाकात नहीं होती।
मगर,मुझसे बात करके,फिर रातों को तेरा ,
ख़्वाब में आना ही काफ़ी है, मेरे सुकून के लिए।।
हालात कैसे भी हों,खुद को समझना,और फिर मुझे समझाना ।
जबरदस्ती bye बुलवाकर,अगली बार जल्दी मुलाकात होगी,
का उम्मीद दिलाना,ही काफ़ी है,मेरे सुकून के लिए।।
शायद यूंही अजनबी बनके मेरी जिंदगी में तेरा आना
ही काफ़ी है,मेरे सुकून के लिए।।
©Alok P Gaurav
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