उल्लाला छन्द :- छोटी-छोटी बात पर , करते क्यों तकरा | हिंदी कविता

"उल्लाला छन्द :- छोटी-छोटी बात पर , करते क्यों तकरार हो । तुम ही जब रघुनाथ हो , तुम ही जब संसार हो ।। मुझसे ऐसी भूल क्या , हुई बताओ नाथ अब । जो रहकर भी साथ में , छोड़े मेरा हाथ अब ।। जीवन के हर मोड़ पर , चलना हमको साथ है । याद रहे इतना पिया , थामा तेरा हाथ है ।। अब तो तेरे संग ही , इन साँसो की डोर है । ले जाओ अब तुम जिधर , चलना अब उस ओर है ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR"

 उल्लाला छन्द :-
छोटी-छोटी बात पर , करते क्यों तकरार हो ।
तुम ही जब रघुनाथ हो , तुम ही जब संसार हो ।।
मुझसे ऐसी भूल क्या , हुई बताओ नाथ अब ।
जो रहकर भी साथ में , छोड़े मेरा हाथ अब ।।

जीवन के हर मोड़ पर , चलना हमको साथ है ।
याद रहे इतना पिया , थामा तेरा हाथ है ।।
अब तो तेरे संग ही , इन साँसो की डोर है ।
ले जाओ अब तुम जिधर , चलना अब उस ओर है ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

उल्लाला छन्द :- छोटी-छोटी बात पर , करते क्यों तकरार हो । तुम ही जब रघुनाथ हो , तुम ही जब संसार हो ।। मुझसे ऐसी भूल क्या , हुई बताओ नाथ अब । जो रहकर भी साथ में , छोड़े मेरा हाथ अब ।। जीवन के हर मोड़ पर , चलना हमको साथ है । याद रहे इतना पिया , थामा तेरा हाथ है ।। अब तो तेरे संग ही , इन साँसो की डोर है । ले जाओ अब तुम जिधर , चलना अब उस ओर है ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

उल्लाला छन्द :-

छोटी-छोटी बात पर , करते क्यों तकरार हो ।
तुम ही जब रघुनाथ हो , तुम ही जब संसार हो ।।
मुझसे ऐसी भूल क्या , हुई बताओ नाथ अब ।
जो रहकर भी साथ में , छोड़े मेरा हाथ अब ।।

जीवन के हर मोड़ पर , चलना हमको साथ है ।

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