तुम्हारा यूँ शाम ढलते ही बालकनी में आना च | हिंदी Shayari

"तुम्हारा यूँ शाम ढलते ही बालकनी में आना चाँद को इस कदर भाता है, चाँद खुद चोरी चुपके आधी रात को ज़मीन पर तुम्हें निहारने आता है! ©Deepak Kumar 'Deep'"

 तुम्हारा  यूँ  
शाम  ढलते  ही  
बालकनी  में  आना
चाँद  को 
इस कदर भाता है,
चाँद  खुद 
चोरी  चुपके 
आधी  रात  को 
ज़मीन  पर 
तुम्हें  निहारने  आता  है!

©Deepak Kumar 'Deep'

तुम्हारा यूँ शाम ढलते ही बालकनी में आना चाँद को इस कदर भाता है, चाँद खुद चोरी चुपके आधी रात को ज़मीन पर तुम्हें निहारने आता है! ©Deepak Kumar 'Deep'

#Chaandzameenpar

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