ज़ख्म को ही अपना मरहम बना रखा है दर्द पे मुस्कुराह | हिंदी Shayari

"ज़ख्म को ही अपना मरहम बना रखा है दर्द पे मुस्कुराहट का पेवन लगा रखा है वो बेख़बर समझते हैं गुलज़ार है ज़िन्दगी मेरी मैंने तो वीरान घर के आगे बाग़ सजा रखा है #NojotoQuote"

 ज़ख्म को ही अपना मरहम बना रखा है
दर्द पे मुस्कुराहट का पेवन लगा रखा है
वो बेख़बर समझते हैं गुलज़ार है ज़िन्दगी मेरी
मैंने तो वीरान घर के आगे बाग़ सजा रखा है  #NojotoQuote

ज़ख्म को ही अपना मरहम बना रखा है दर्द पे मुस्कुराहट का पेवन लगा रखा है वो बेख़बर समझते हैं गुलज़ार है ज़िन्दगी मेरी मैंने तो वीरान घर के आगे बाग़ सजा रखा है

ज़ख्म को ही अपना मरहम बना रखा है
दर्द पे मुस्कुराहट का पेवन लगा रखा है
वो बेख़बर समझते हैं गुलज़ार है ज़िन्दगी मेरी
मैंने तो वीरान घर के आगे बाग़ सजा रखा है

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