श्री राम स्तवन
छ०-हे राम! विश्व धाम श्री भगवान श्री जगदीश्वरम्। रघुकुल तिलक जगपति अवध पति प्रानपति हरि १ ईश्वरम् ।।१।।
जगनाथ साथ वाग्मी धन्वी दशानन मर्दनम्। करुणापति करुणानिधि श्रीपति कौशल्या नंदनम् ।।२।।
राजेंद्र रामभद्र शाश्वत सत्यवाक् जनार्दनम्।
जानकी वल्लभ जगतगुरु पार परेश परात्परम्।
पुराण पुरुषोत्तम हरि सुंदर त्रिगुण खरार्दनम् ||३|/ /
सच्चिदानंद परम विग्रह धनुर्धर भावात्मकम् ।।४।।
सप्ततालप्रभेत हर कोदंड अहिल्या पावनम्।
जितलोभ जितक्रोध महाभुज सौम्य यज्ञ भावनम् ।।५।। शरण्यत्राणतत्परं सर्वाघगण श्री वर्जितम्।
सर्वयज्ञाधिप महोदर महादेवाभिपूर्जितम् ।।६।। आनंद कै आनंद परमानंद विभु प्रणमाम्यहम्।
सुमिरत हृदय मूरख अमित सब भाँति प्रभु भजमाम्हम् ।।७।।
©Amit Mishra
श्री रामस्तवन