#GuruGobindSingh जिसने चार दुलारे क़ौम धर्म पर वार | हिंदी कविता

"#GuruGobindSingh जिसने चार दुलारे क़ौम धर्म पर वारे, जिसने लड़ना सिखाया जिसने धर्म बचाया, वो है एक गुरु गोबिंद..., जो पिता को कहे शीश देदो जाके, जिसने इंसानियत को चाहा जिसने सब कुछ गवाया, गोबिंद... गुरु गोबिंद.... अमृत पीला के जिसने पिया है खुद भी, संत सिपाही जो फौज के साथ डटा है खुद भी, मिटा के जात पात जिसने कर दिया सिंह कौर एक ही, लाखों में अलग खड़ा दिखे जिसका हर एक सिख ही, जो जंगलों में बसा काँटे पत्थरों पर भी हंसा, जिसने सब कुछ सहन कर हमे जीना सिखाया, पुत्र शहीदी पे भी परमात्मा जप खुद को उदाहरण बनाया, गोबिंद... गुरु गोबिंद.... बाणी बाणे में सजते साहिब कमाल जी, ऊँच के पीर जो खुद ही अकाल जी, कलम से मारे जो औरंगजेब को, सिंह गौरव सिर झुकाए उस शहंशाह की तेग को, जिसने कमान तीर पकड़ाया, माधो दास बन्दा बहादुर बनाया, जुल्म के खिलाफ लड़ना जिसने हुक्म सुनाया, गोबिंद... गुरु गोबिंद....!!! ©Gannudiary"

 #GuruGobindSingh जिसने चार दुलारे क़ौम धर्म पर वारे,
जिसने लड़ना सिखाया जिसने धर्म बचाया,
वो है एक गुरु गोबिंद...,
जो पिता को कहे शीश देदो जाके,
जिसने इंसानियत को चाहा जिसने सब कुछ गवाया,
गोबिंद... गुरु गोबिंद....
अमृत पीला के जिसने पिया है खुद भी,
संत सिपाही जो फौज के साथ डटा है खुद भी,
मिटा के जात पात जिसने कर दिया सिंह कौर एक ही,
लाखों में अलग खड़ा दिखे जिसका हर एक सिख ही,
जो जंगलों में बसा काँटे पत्थरों पर भी हंसा,
जिसने सब कुछ सहन कर हमे जीना सिखाया,
पुत्र शहीदी पे भी परमात्मा जप खुद को उदाहरण बनाया,
गोबिंद... गुरु गोबिंद....
बाणी बाणे में सजते साहिब कमाल जी, 
ऊँच के पीर जो खुद ही अकाल जी, 
कलम से मारे जो औरंगजेब को, 
सिंह गौरव सिर झुकाए उस शहंशाह की तेग को, 
जिसने कमान तीर पकड़ाया, 
माधो दास बन्दा बहादुर बनाया, 
जुल्म के खिलाफ लड़ना जिसने हुक्म सुनाया,
गोबिंद... गुरु गोबिंद....!!!

©Gannudiary

#GuruGobindSingh जिसने चार दुलारे क़ौम धर्म पर वारे, जिसने लड़ना सिखाया जिसने धर्म बचाया, वो है एक गुरु गोबिंद..., जो पिता को कहे शीश देदो जाके, जिसने इंसानियत को चाहा जिसने सब कुछ गवाया, गोबिंद... गुरु गोबिंद.... अमृत पीला के जिसने पिया है खुद भी, संत सिपाही जो फौज के साथ डटा है खुद भी, मिटा के जात पात जिसने कर दिया सिंह कौर एक ही, लाखों में अलग खड़ा दिखे जिसका हर एक सिख ही, जो जंगलों में बसा काँटे पत्थरों पर भी हंसा, जिसने सब कुछ सहन कर हमे जीना सिखाया, पुत्र शहीदी पे भी परमात्मा जप खुद को उदाहरण बनाया, गोबिंद... गुरु गोबिंद.... बाणी बाणे में सजते साहिब कमाल जी, ऊँच के पीर जो खुद ही अकाल जी, कलम से मारे जो औरंगजेब को, सिंह गौरव सिर झुकाए उस शहंशाह की तेग को, जिसने कमान तीर पकड़ाया, माधो दास बन्दा बहादुर बनाया, जुल्म के खिलाफ लड़ना जिसने हुक्म सुनाया, गोबिंद... गुरु गोबिंद....!!! ©Gannudiary

साहिब ए कमाल गुरु गोबिंद सिंह..
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