सिलसिले ये चाहत ए मोहोब्बत तुम्हारी कम होती ही नही | हिंदी Shayari

"सिलसिले ये चाहत ए मोहोब्बत तुम्हारी कम होती ही नहीं ए हसीं कभी कभी तो मैं तंग आकर तुम्हारी यादों से झगड़ पड़ता हूं ©Nikhil Kaushik"

 सिलसिले ये चाहत ए मोहोब्बत
तुम्हारी कम होती ही नहीं
ए हसीं कभी कभी तो मैं तंग आकर
तुम्हारी यादों से झगड़ पड़ता हूं

©Nikhil Kaushik

सिलसिले ये चाहत ए मोहोब्बत तुम्हारी कम होती ही नहीं ए हसीं कभी कभी तो मैं तंग आकर तुम्हारी यादों से झगड़ पड़ता हूं ©Nikhil Kaushik

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