गीत भारत के बेटे आखिरी सांस तक अब लड़ेंगे सुनो हम | हिंदी कविता

"गीत भारत के बेटे आखिरी सांस तक अब लड़ेंगे सुनो हम हैं भारत के बेटे डरेंगे नहीं हमसे टकराओगे धूल हो जाओगे सर पे साया है माँ की मरेंगे नहीं! अब तो मुझको न परवाह दुनिया की है साथ कोई रहे ना रहे ना फिकर रण मे तुमको ये दम भी दिखा देंगे हम कौन है निम्न है कौन कितना शिखर चीर दुश्मन की छाती निकालूं लहू हम वो चट्टान हैं जो ढहेंगे नहीं! हमसे टकराओगे धूल हो जाओगे सर पे साया है माँ की मरेंगे नहीं! तू किया जो नहीं वो भी कर जायेंगे हद से अपने सुनो हम गुजर जायेंगे तेरी चालांकी अब तो चलेगी नहीं तू रहेगा वंही हम शिखर जायेंगे साथ अब तक चला ना चलेगा कोई फिर भी हम तो अकेले रहेंगे नहीं! हमसे टकराओगे धूल हो जाओगे सर पे साया है माँ की मरेंगे नहीं! ये नया दौर है कोई भी कम नहीं छोड़ दे भोकना बात मे दम नहीं हौसलों मे हैं पर हम तो उड़ जायेंगे माँ का आशीष है कोई भी गम नहीं ये है चेतावनी आखिरी तू समझ अब तो भिड़ जायेंगे कुछ कहेंगे नहीं! हमसे टकराओगे धूल हो जाओगे सर पे साया है माँ की मरेंगे नहीं! कवि प्रशांत प्रसून प्रयागराज उप्र 7619041493"

 गीत
भारत के बेटे

आखिरी सांस तक अब लड़ेंगे सुनो 
हम हैं भारत के बेटे डरेंगे नहीं
हमसे टकराओगे धूल हो जाओगे
सर पे साया है माँ की मरेंगे नहीं!
अब तो मुझको न परवाह दुनिया की है 
साथ कोई रहे ना रहे ना फिकर
रण मे तुमको ये दम भी दिखा देंगे हम
कौन है निम्न है कौन कितना शिखर
चीर दुश्मन की छाती निकालूं लहू 
हम वो चट्टान हैं जो ढहेंगे नहीं!
हमसे टकराओगे धूल हो जाओगे 
सर पे साया है माँ की मरेंगे नहीं!
तू किया जो नहीं वो भी कर जायेंगे
हद से अपने सुनो हम गुजर जायेंगे
तेरी चालांकी अब तो चलेगी नहीं 
तू रहेगा वंही हम शिखर जायेंगे
साथ अब तक चला ना चलेगा कोई 
फिर भी हम तो अकेले रहेंगे नहीं!
हमसे टकराओगे धूल हो जाओगे 
सर पे साया है माँ की मरेंगे नहीं!
ये नया दौर है कोई भी कम नहीं 
छोड़ दे भोकना बात मे दम नहीं 
हौसलों मे हैं पर हम तो उड़ जायेंगे 
माँ का आशीष है कोई भी गम नहीं 
ये है चेतावनी आखिरी तू समझ 
अब तो भिड़ जायेंगे कुछ कहेंगे नहीं!
हमसे टकराओगे धूल हो जाओगे 
सर पे साया है माँ की मरेंगे नहीं!

कवि प्रशांत प्रसून
प्रयागराज उप्र
7619041493

गीत भारत के बेटे आखिरी सांस तक अब लड़ेंगे सुनो हम हैं भारत के बेटे डरेंगे नहीं हमसे टकराओगे धूल हो जाओगे सर पे साया है माँ की मरेंगे नहीं! अब तो मुझको न परवाह दुनिया की है साथ कोई रहे ना रहे ना फिकर रण मे तुमको ये दम भी दिखा देंगे हम कौन है निम्न है कौन कितना शिखर चीर दुश्मन की छाती निकालूं लहू हम वो चट्टान हैं जो ढहेंगे नहीं! हमसे टकराओगे धूल हो जाओगे सर पे साया है माँ की मरेंगे नहीं! तू किया जो नहीं वो भी कर जायेंगे हद से अपने सुनो हम गुजर जायेंगे तेरी चालांकी अब तो चलेगी नहीं तू रहेगा वंही हम शिखर जायेंगे साथ अब तक चला ना चलेगा कोई फिर भी हम तो अकेले रहेंगे नहीं! हमसे टकराओगे धूल हो जाओगे सर पे साया है माँ की मरेंगे नहीं! ये नया दौर है कोई भी कम नहीं छोड़ दे भोकना बात मे दम नहीं हौसलों मे हैं पर हम तो उड़ जायेंगे माँ का आशीष है कोई भी गम नहीं ये है चेतावनी आखिरी तू समझ अब तो भिड़ जायेंगे कुछ कहेंगे नहीं! हमसे टकराओगे धूल हो जाओगे सर पे साया है माँ की मरेंगे नहीं! कवि प्रशांत प्रसून प्रयागराज उप्र 7619041493

#antichildlabourday by kavi Prasoon

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