वो मेरी मोहब्बत की इंतहा तक गुज़र जाता था / जब भी

"वो मेरी मोहब्बत की इंतहा तक गुज़र जाता था / जब भी सरकी चूनर मेरी मेरे बदन से, नज़रें वो अपनी झुका लेता था// @@akhil's @@"

 वो मेरी मोहब्बत की इंतहा
 तक गुज़र जाता था /
जब भी सरकी चूनर
 मेरी मेरे बदन से,
नज़रें वो अपनी 
झुका लेता था//

@@akhil's @@

वो मेरी मोहब्बत की इंतहा तक गुज़र जाता था / जब भी सरकी चूनर मेरी मेरे बदन से, नज़रें वो अपनी झुका लेता था// @@akhil's @@

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