रेत पर कदमो के निशान थे सबके अलग | सबकी अपनी मंजिल | हिंदी शायरी

"रेत पर कदमो के निशान थे सबके अलग | सबकी अपनी मंजिले सबके अपने थे रास्ते एक आवारा फिरे दर-बदर हम सबसे अलग | ©Unruly Lekhak"

 रेत पर कदमो के निशान थे सबके अलग |
सबकी अपनी मंजिले
सबके अपने थे रास्ते 
एक आवारा फिरे दर-बदर हम सबसे अलग |

©Unruly Lekhak

रेत पर कदमो के निशान थे सबके अलग | सबकी अपनी मंजिले सबके अपने थे रास्ते एक आवारा फिरे दर-बदर हम सबसे अलग | ©Unruly Lekhak

Ret pr nishan the sabke alag

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