ना जाने किस मिट्टी को मेरे वजूद की ख्वाहिश थी, म | हिंदी शायरी

""ना जाने किस मिट्टी को मेरे वजूद की ख्वाहिश थी, मैं इतना तो बना भी न था जितना मिटा दिया गया हूँ !!""

 "ना जाने किस मिट्टी को मेरे वजूद की ख्वाहिश थी,

मैं इतना तो बना भी न था जितना मिटा दिया गया हूँ !!"

"ना जाने किस मिट्टी को मेरे वजूद की ख्वाहिश थी, मैं इतना तो बना भी न था जितना मिटा दिया गया हूँ !!"

#shayri#Dil #Jaan #Ashiqi #Pyar

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