फुर्सत मिले कभी तो, फुर्सत मिले कभी तो सोचना तुमने
"फुर्सत मिले कभी तो, फुर्सत मिले कभी तो सोचना तुमने क्या खोया और क्या पाया। झूठी आन के खातिर सच्चा प्यार गबाया। मुझे जलील करके तुम मुझे आजमाते रहे। दरअसल खुद को तुम मेरी नजर से गिराते रहे।"
फुर्सत मिले कभी तो, फुर्सत मिले कभी तो सोचना तुमने क्या खोया और क्या पाया। झूठी आन के खातिर सच्चा प्यार गबाया। मुझे जलील करके तुम मुझे आजमाते रहे। दरअसल खुद को तुम मेरी नजर से गिराते रहे।