Dear Diary जिन सपनों ने उड़ाई है आंखों से नींदें
उन उम्मीदों के साथ मैं सोता ही क्यूं हूं ??
लोग जी लेते हैं अपने असत्यों के साथ
मैं अपनी सत्य खोजता ही क्यू हूं ??
ख़ुद से भरता हूं जब अपनी आंखें
फिर ख़ुद से अश्रु पोछता ही क्यूं हूं ??
कभी कभी सोचता हूं मैं
मैं इतना सोचता ही क्यू हूं ??
©Rj_Rajesh
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