क्या बेचकर खरीदें फुर्सत ए जिंदगी, सबकुछ तो गिरवी | हिंदी Shayari

"क्या बेचकर खरीदें फुर्सत ए जिंदगी, सबकुछ तो गिरवी पड़ा है जिम्मेदारी के बाजार में । ©Amit rana"

 क्या बेचकर खरीदें फुर्सत ए जिंदगी,
सबकुछ तो गिरवी पड़ा है जिम्मेदारी के बाजार में ।

©Amit rana

क्या बेचकर खरीदें फुर्सत ए जिंदगी, सबकुछ तो गिरवी पड़ा है जिम्मेदारी के बाजार में । ©Amit rana

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