रिस्ते की बात मत ही करो रिश्ता कं स और कृष्ण का भी था रिश्ता रावण और बिभीषन का भी था ।पर इन रिश्तों में एक तरफ अहंकार घमंड था तो दूसरी तरफ उदारता जो बार बार मौका दिए जा रहा था सुधरने का ।
रिश्ता वो भी था राम ल क्ष्मण भरत शत्रु ध्न का ।जहाँ एक भाई एक भाई के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया ।और रही बात रिश्तों की तो उसकी परिभाषा हमको न समझाओ तो ही बेहतर होगा ।
©Mahi Ji Mahi Ji
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