इश्क इक नशा है और इससे ज्यादा कुछ भी नही। मेरे दिल | हिंदी Shayari

"इश्क इक नशा है और इससे ज्यादा कुछ भी नही। मेरे दिल में तुम हो , तुम्हारे सिवा कुछ भी नही। फूल और भवरे सा रिश्ता है हमारा मेरे बिना वो , उसके बिना मैं , कुछ भी नही। सजने संवरने का शौक है उसे पर बिंदी के सिवा लगाती वो कुछ भी नही। मैं दुनिया के चंद अमीर लोग में आता हूं पर मेरी दौलत में प्यार के सिवा कुछ भी नही। किसी लड़की ने tag कर दी मुझे अपनी story मेरे दोस्त इसमें गुस्सा होने वाली बात कुछ भी नही मेरा कमरा देखना चाहती हो तुम मेरे कमरे में , मेरे अरमानों के सिवा कुछ भी नहीं। तुम कहती थी , यहां ये है - यहां वो है तुम्हारे शहर में मेरे ग्वालियर जैसा कुछ भी नही। ©Anshu Singh"

 इश्क इक नशा है और इससे ज्यादा कुछ भी नही।
मेरे दिल में तुम हो , तुम्हारे सिवा कुछ भी नही।
फूल और भवरे सा रिश्ता है हमारा
मेरे बिना वो , उसके बिना मैं , कुछ भी नही।
सजने संवरने का शौक है उसे 
पर बिंदी के सिवा लगाती वो कुछ भी नही।
मैं दुनिया के चंद अमीर लोग में आता हूं
पर मेरी दौलत में प्यार के सिवा कुछ भी नही।
किसी लड़की ने tag कर दी मुझे अपनी story
मेरे दोस्त इसमें गुस्सा होने वाली बात कुछ भी नही
मेरा कमरा देखना चाहती हो तुम
मेरे कमरे में , मेरे अरमानों के सिवा कुछ भी नहीं।
तुम कहती थी , यहां ये है - यहां वो है
तुम्हारे शहर में मेरे ग्वालियर जैसा कुछ भी नही।

©Anshu Singh

इश्क इक नशा है और इससे ज्यादा कुछ भी नही। मेरे दिल में तुम हो , तुम्हारे सिवा कुछ भी नही। फूल और भवरे सा रिश्ता है हमारा मेरे बिना वो , उसके बिना मैं , कुछ भी नही। सजने संवरने का शौक है उसे पर बिंदी के सिवा लगाती वो कुछ भी नही। मैं दुनिया के चंद अमीर लोग में आता हूं पर मेरी दौलत में प्यार के सिवा कुछ भी नही। किसी लड़की ने tag कर दी मुझे अपनी story मेरे दोस्त इसमें गुस्सा होने वाली बात कुछ भी नही मेरा कमरा देखना चाहती हो तुम मेरे कमरे में , मेरे अरमानों के सिवा कुछ भी नहीं। तुम कहती थी , यहां ये है - यहां वो है तुम्हारे शहर में मेरे ग्वालियर जैसा कुछ भी नही। ©Anshu Singh

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