बड़ी लम्बी गुफ़्तगू करनी है, तुम आना,
एक दिल ले कर,
हर ख्वाब और हर जज़्बात, इक नई शुरुआत
ले कर।
हमने तो हर लम्हा तुझसे, एक पूरी उम्र सी बाँध ली है,
तुमसे मिलने की चाहत में,
हर रोज़ नई रातें ढाली हैं।
दिल की गलियों में बिछी हैं, तेरी यादों की पुरानी राहें,
चले आओ,
इन खामोशियों में एक नई सवेरा लेकर।
तेरे बिना ये धड़कनें भी, बस एक गूंज सी रह गई हैं,
तुम्हारी यादों की महफिल में,
हर बात अधूरी सी रह गई है।
©silent_03
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