कुछ ऐसे हैं मेरे दादा....
ज़िम्मेदारियों को हँस के...
मैं निभाता जा रहा ...
राह में मिले जो काँटे ,
उनको उठाता जा रहा।
ये नहीं कि खुश नहीं मैं....
खुश तो मैं हर हाल में।
बस आँखों में भरे जो आँसू
उनको छिपाता जा रहा।
वक्त ने छीना बहुत कुछ,
जो कभी था मेरा...
उम्मीदों की रौशनी से,
सींचा है मैंने अँधेरा।
आज भी मैं हँसते हुए..
जी रहा हूँ जिंदगी।
कुछ ऐसा है जिंदगी का
अफ़साना मैं क्या कहूँ,
रिश्ते जो रूठे बैठे हैं,
उनको मनाता जा रहा।
©Pinky CK
बहुत दिनों बाद कुछ ऐसा लिखा है....