"वो नादान बचपन भी कितना प्यारा था.."
उन लोगों के साथ न होना
मुझे अब बहुत याद आता हैं
जो मुझसे हमसे कहा करते थे...
बेटा तुम ज़िंदगी में बहुत आगे तक जाओगे
कुछ न कुछ ज़रूर करके दिखाओगे..
क्या बताए अब..
हमे पता ही नहीं चला की कब
हम उस बचपन के दौर से ज़वानी के
इन दिनों में आ गए ..
हमे पता ही नही चला की कब
हमारे गुरुजनों की उंगलियों से
हमारा हाथ छिटक गया..
चाहें कुछ भीं उनकी बातों को
याद करके ही हमें अपनी
मंज़िल की डगर पर चलना होगा
हालात चाहे जो भी किसी भी हाल
में मंजिल को हासिल करना होगा।
Miss you my all teachers
Alkesh
©Alkesh Lodhi
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