कल- कल करती गंगा मइया फसलों का भंडार है। बुद्ध, अश | हिंदी Poetry

"कल- कल करती गंगा मइया फसलों का भंडार है। बुद्ध, अशोक, चाणक्य की भूमि, यही तो अपना बिहार है।। ©Deepak Vishal"

 कल- कल करती गंगा मइया
फसलों का भंडार है।
बुद्ध, अशोक, चाणक्य की भूमि,
यही तो अपना बिहार है।।

©Deepak Vishal

कल- कल करती गंगा मइया फसलों का भंडार है। बुद्ध, अशोक, चाणक्य की भूमि, यही तो अपना बिहार है।। ©Deepak Vishal

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