वो जो था ख़्वाब सा उसे जाने दो ना वो जो था गीत सा | हिंदी कविता

"वो जो था ख़्वाब सा उसे जाने दो ना वो जो था गीत सा गुनगुनाने दो ना वो जो था याद सा उसे भुलाने दो ना शाम थी अब्र सी... ढल जाने दो ना वक़्त था रेत सा... फ़िसल जाने दो ना नाम था ओस सा मिट जाने दो ना पलकों पर अश्क सा बह जाने दो ना.. वो था कांच सा बिखर जाने दो ना! ©Ritu mishra pandey mausam"

 वो जो था ख़्वाब सा
उसे जाने दो ना
वो जो था गीत सा
गुनगुनाने दो ना
वो जो था याद सा 
उसे भुलाने दो ना 
शाम थी अब्र सी... 
ढल जाने दो ना 
वक़्त था रेत सा... 
फ़िसल जाने दो ना
नाम था ओस सा
मिट जाने दो ना
पलकों पर अश्क सा
बह जाने दो ना..
वो था कांच सा
बिखर जाने दो ना!

©Ritu mishra pandey mausam

वो जो था ख़्वाब सा उसे जाने दो ना वो जो था गीत सा गुनगुनाने दो ना वो जो था याद सा उसे भुलाने दो ना शाम थी अब्र सी... ढल जाने दो ना वक़्त था रेत सा... फ़िसल जाने दो ना नाम था ओस सा मिट जाने दो ना पलकों पर अश्क सा बह जाने दो ना.. वो था कांच सा बिखर जाने दो ना! ©Ritu mishra pandey mausam

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