हिन्दी, हमारी मातृभाषा है।
हिन्दी ,भारत के जन-जन की भाषा है।
हिन्दी भारत की विविधता में एकता का प्रतीक है।
हिन्दी भारतीय परिवेश का अभिन्न हिस्सा है।
प्रवासी हो या हो विदेशी
सबने ही इसे सराहा,अपनी अभिव्यिक्त ,संप्रेषण का माध्यम बनाया।
हिन्दी,जो जन्मी है,देववाणी संसकृत से,
लिपी,है जिसकी देवनागरी।
देवभूमि -भारत की आन-बान और शान है हिन्दी।
सदा रहेगी बनकर भारत के माथे की बिन्दी।
निज गौरव, अभिमान और संस्कार की पहचान है हिन्दी।
वैश्विक अब हो चुकी हिन्दी।
विश्व की तीसरी भाषा अब बन चुकी है हिन्दी।
है मेरा स्वाभिमान हिन्दी,
है मेरी पहचान हिन्दी।
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