कठपुतली नचा रहा कर कोई इशारा नाच रही कठ | हिंदी कविता

"कठपुतली नचा रहा कर कोई इशारा नाच रही कठपुतली विवश हुई कुछ कर नहीं सकती उसपर हावी ऊँगली सभी चाहते दुनिया उनके आगे हो नतमस्तक सारा रस पान करें फिर लोग चबाएँ गुठली कोई भी शासन में आए चले उन्हीं का सिक्का ऐसा जाल बना दें जग में जोड़ जोड़ कर सुतली बेखुद कठपुतली कहती है बहुतेरे मुझ जैसे असल खिलाडी कोई और है वो पुतला है नकली ©Sunil Kumar Maurya Bekhud"

 कठपुतली          

नचा रहा कर कोई इशारा
नाच रही कठपुतली
विवश हुई कुछ कर नहीं सकती
उसपर हावी ऊँगली

सभी चाहते दुनिया उनके
आगे हो नतमस्तक
सारा रस पान करें फिर
लोग चबाएँ गुठली

कोई भी शासन में आए
चले उन्हीं का सिक्का
ऐसा जाल बना दें जग में
जोड़ जोड़ कर सुतली

बेखुद कठपुतली कहती है
बहुतेरे मुझ जैसे
असल खिलाडी कोई और है
वो पुतला है नकली

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

कठपुतली नचा रहा कर कोई इशारा नाच रही कठपुतली विवश हुई कुछ कर नहीं सकती उसपर हावी ऊँगली सभी चाहते दुनिया उनके आगे हो नतमस्तक सारा रस पान करें फिर लोग चबाएँ गुठली कोई भी शासन में आए चले उन्हीं का सिक्का ऐसा जाल बना दें जग में जोड़ जोड़ कर सुतली बेखुद कठपुतली कहती है बहुतेरे मुझ जैसे असल खिलाडी कोई और है वो पुतला है नकली ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कठपुतली

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