हम भी कहीं इस हाल में खुशियों से दामन सींच न लें।
वो दिखे तौहीन कर इन चक्षुओं को भींच न लें।।
या कहे वो जो किया उन गलतियों को माफ कर दो।
अब इरादे नेक हैं जख्मों को सारे साफ़ कर दो।।
चल के फिर से हम नया अफसाना लिखना चाहते हैं।
आपका ही हाथ बस अब साथ दिखना चाहते हैं।।
क्या खफस के दायरे को कुछ बढ़ाना चाहता है।
या फिदायी फिर मुझे अब आजमाना चाहता है।।
जौहरी का क्या भरोसा किस चमक पर मुस्कुराए।
फिर दिखे कोई कशिश और बस वहीं से लौट जाए।।
बस हमें इन यादों से कुछ दूर लाकर छोड़ देगा।
फिर नया पैगाम इस ज़ख्मी फिज़ा में जोड़ देगा।।
वो खुश रहे या ना रहे हम नर्क में जाएंगे क्यूं ।
अब हैं अलग तो ठीक है ना लौट कर आएंगे क्यूं।।
©Sandhya Ji
#lonely