जब छूती है उंगलियां तेरी, मेरी उंगलियों को। सूरज क | हिंदी विचार

"जब छूती है उंगलियां तेरी, मेरी उंगलियों को। सूरज की तपन भी बन जाती है ,चांदनी का सुकून।। ©shiv tomer"

 जब छूती है उंगलियां तेरी, मेरी उंगलियों को।
सूरज की तपन भी बन जाती है ,चांदनी का सुकून।।

©shiv tomer

जब छूती है उंगलियां तेरी, मेरी उंगलियों को। सूरज की तपन भी बन जाती है ,चांदनी का सुकून।। ©shiv tomer

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