एक दिन तुम्हारे सहर में आऊंगी
पर तुमसे मिलने की मिन्नते मै करूंगी नही
एक दिन मंदिर में तुम्हे पाने की मन्नते मैं करूंगी नही
एक दिन तुम्हारी लिखी बाते पढ़के रोऊंगी नही
एक दिन तुम्हे खो देने के डर से डरूंगी नही
एक दिन उन्ही रास्तों पे चलूंगी अकेले
पर तुम्हे साथ चलने को कहूंगी नही
एक दिन तुम्हे सोचते हुए खुद ही के संग बहूंगी नही
एक दिन सबके साथ होके भी अकेले रहूंगी नही
एक दिन सोने के बाद डर के घबराहट में उठूंगी नही
एक दिन सबसे छुपाके आंसुओ में भीगूंगी नही
और शायद इन्ही आंसुओ के बह जाने के डर से छुपूंगी नही
एक दिन फिर से डरूंगी में उन्ही लम्हों में जीने से
पर उस दिन फिर से मुस्कुराने से रुकूंगी नही
©Pini KUMAWAT
#hillroad एच