माँ खुशियों का समंदर हैँ
माँ नही तो ये जीवन खंडर है
माँ है तो घर मे खुशहाली
माँ हैँ तभी ही अच्छी लगती ईद और दीवाली
माँ अंधकार मय जीवन मे जलता एक चिराग है
माँ ऋषियों की तपस्या सीता का वैराग्य है
माँ रामायण है माँ जीवन जीने का तरीका है
माँ ईश्वर द्वारा दी गई दुनिया को प्राण मय गीता है
माँ है तो खुशियों का घेरा है
माँ है तो आबाद बसेरा है
माँ है तो जीवन मे ज्ञान है
माँ मस्जिद मे पांचो पहर की अजान है
माँ बच्चे के मुख से निकला पहला राग है
माँ जीवन मे खुशियों के फूलो से भरा बाग है
औलाद बेकार हो फिर भी माँ उससे दूर हो नही पाती
माँ नही है तो उसकी कमी कभी पूरी हो नही पाती
चाहे साथ हो जमाना
ठोंकर लगने पर माँ ही याद आती
माँ अगर खुश तो जीवन का अर्थ है
नहीं तो ये जीवन व्यर्थ है !!!
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