दौलत की चाह थी तो कमाने निकल गए, दौलत मिली तो हाथ | हिंदी Shayari

"दौलत की चाह थी तो कमाने निकल गए, दौलत मिली तो हाथ से रिश्ते निकल गए, बच्चों के साथ रहने की फुर्सत न मिल सकी, फुर्सत मिली तो बच्चे ही घर निकल गए। ©Ram Karan singh"

 दौलत की चाह थी तो कमाने निकल गए,
दौलत मिली तो हाथ से रिश्ते निकल गए,
बच्चों के साथ रहने की फुर्सत न मिल सकी,
फुर्सत मिली तो बच्चे ही घर निकल गए।

©Ram Karan singh

दौलत की चाह थी तो कमाने निकल गए, दौलत मिली तो हाथ से रिश्ते निकल गए, बच्चों के साथ रहने की फुर्सत न मिल सकी, फुर्सत मिली तो बच्चे ही घर निकल गए। ©Ram Karan singh

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