White मुझे आज भी इंतज़ार रहता है उस दिन का कि किस | हिंदी Shayari

"White मुझे आज भी इंतज़ार रहता है उस दिन का कि किसी दिन वो ये कहेगा, कि .... नाराज़गी में तेरे लिए बंद किया दरवाज़ा मैं तेरे लिए फ़िर से खोल देना चाहता हूॅं। ऐ मेरे रूह-ए-यार मैं तेरे पास फ़िर से एक बार लौट कर आना चाहता हूॅं। या फ़िर ये कहेगा कि .... तू ख़ुद लौट कर आ जाना फ़िर से, मैं तेरे लिए दरवाज़ा खोल देता हूॅं। लेकिन ये भी जानती हूॅं मैं कि वो ऐसा कभी कहेगा नहीं शायद ऐसा कोई दिन कभी आएगा नहीं । आगे भी बस ऐसे ही ख़ामोश रहेंगे हम दोनों , और इसी ख़ामोशी के साथ शायद किसी दिन इक-दूसरे को अलविदा कहेंगे हम दोनों। लेकिन फ़िर भी मुझे इंतज़ार रहता है उस दिन का .... ©Sh@kila Niy@z"

 White मुझे आज भी इंतज़ार रहता है उस दिन का 
कि किसी दिन वो ये कहेगा, कि ....
नाराज़गी में तेरे लिए बंद किया दरवाज़ा 
मैं तेरे लिए फ़िर से खोल देना चाहता हूॅं।
ऐ मेरे रूह-ए-यार मैं तेरे पास फ़िर से 
एक बार लौट कर आना चाहता हूॅं।
या फ़िर ये कहेगा कि ....
तू ख़ुद लौट कर आ जाना फ़िर से,
मैं तेरे लिए दरवाज़ा खोल देता हूॅं।

लेकिन ये भी जानती हूॅं मैं कि वो ऐसा कभी कहेगा नहीं 
शायद ऐसा कोई दिन कभी आएगा नहीं ।
आगे भी बस ऐसे ही ख़ामोश रहेंगे हम दोनों ,
और इसी ख़ामोशी के साथ शायद किसी दिन 
इक-दूसरे को अलविदा कहेंगे हम दोनों।

लेकिन फ़िर भी मुझे इंतज़ार रहता है उस दिन का ....

©Sh@kila Niy@z

White मुझे आज भी इंतज़ार रहता है उस दिन का कि किसी दिन वो ये कहेगा, कि .... नाराज़गी में तेरे लिए बंद किया दरवाज़ा मैं तेरे लिए फ़िर से खोल देना चाहता हूॅं। ऐ मेरे रूह-ए-यार मैं तेरे पास फ़िर से एक बार लौट कर आना चाहता हूॅं। या फ़िर ये कहेगा कि .... तू ख़ुद लौट कर आ जाना फ़िर से, मैं तेरे लिए दरवाज़ा खोल देता हूॅं। लेकिन ये भी जानती हूॅं मैं कि वो ऐसा कभी कहेगा नहीं शायद ऐसा कोई दिन कभी आएगा नहीं । आगे भी बस ऐसे ही ख़ामोश रहेंगे हम दोनों , और इसी ख़ामोशी के साथ शायद किसी दिन इक-दूसरे को अलविदा कहेंगे हम दोनों। लेकिन फ़िर भी मुझे इंतज़ार रहता है उस दिन का .... ©Sh@kila Niy@z

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