White हम बैठे हैं एक दूसरे के सामने घुटनों के बल, | हिंदी कविता

"White हम बैठे हैं एक दूसरे के सामने घुटनों के बल, किसी अपराधी की तरह किसी सजा की प्रतीक्षा में.. हम जानते हैं, हमारा अपराधबोध और, प्रेम में होते हुए भी अलगाव... जो हमारी सबसे बड़ी सजा थी इसलिए... गर्म आँसुओं से बह गईं सभी शिकायतें, झुकी नजरों ने काट दिए गले... गलतफहमियों के। हम बैठे रहे कुछ क्षण.. भीगे गालों को सहलाते हुए टूटे फूटे शब्दों में और रोते हुए ... एक दूजे को बहलाते हुए....!!!! ©हिमांशु Kulshreshtha"

 White हम बैठे हैं 
एक दूसरे के सामने घुटनों के बल, 
किसी अपराधी की तरह 
किसी सजा की प्रतीक्षा में.. 
हम जानते हैं,
हमारा अपराधबोध और, 
प्रेम में होते हुए भी अलगाव...
जो हमारी सबसे बड़ी सजा थी
इसलिए...
गर्म आँसुओं से 
बह गईं सभी शिकायतें, 
झुकी नजरों ने काट दिए गले... 
गलतफहमियों के।
हम बैठे रहे कुछ क्षण.. 
भीगे गालों को सहलाते हुए
टूटे फूटे शब्दों में 
और रोते हुए ...
एक दूजे को बहलाते हुए....!!!!

©हिमांशु Kulshreshtha

White हम बैठे हैं एक दूसरे के सामने घुटनों के बल, किसी अपराधी की तरह किसी सजा की प्रतीक्षा में.. हम जानते हैं, हमारा अपराधबोध और, प्रेम में होते हुए भी अलगाव... जो हमारी सबसे बड़ी सजा थी इसलिए... गर्म आँसुओं से बह गईं सभी शिकायतें, झुकी नजरों ने काट दिए गले... गलतफहमियों के। हम बैठे रहे कुछ क्षण.. भीगे गालों को सहलाते हुए टूटे फूटे शब्दों में और रोते हुए ... एक दूजे को बहलाते हुए....!!!! ©हिमांशु Kulshreshtha

भीगे..

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