सखी सहेली कहुँ, कहुँ तुझे दोस्त या शिक्षक
तकलीफ़ में तावीज़ कहुँ, कहुँ तुझे परेशानियों की रक्षक
एहसासों से बुनी है जो, जज़्बातों से जुड़ी है वो
रख लबों पे मुस्कान हरदम, आँखों से चुरा लेती नमी है वो
विचलित मन का सुकून कहुँ, या कहुँ कुछ पाने का जुनून
हौंसला, हिंमत या भरोसा कहुँ, या कहुँ तुझे मैं अपना गुरूर
तुझसे है वजूद मेरा, तुझसे बनी पहचान मेरी
तुझ सी हुँ मैं माँ , बनना चाहूँ परछाई तेरी
©Dips Writeups
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