महज़ बारह की उम्र में जिसने लक्ष्य आज़ादी का ठान लिया,
कराके रहेगा देश को आज़ाद यह प्रण उसने मान लिया,
वो ही जिसने राजगुरु के साथ मिलकर साण्डर्स का काम तमाम किया,
वो फेंककर बम असेम्बली में जिसने किसी को न कुछ नुकसान दिया
वही रहकर बेख़ौफ़ी से जिसने इंकलाब जिंदाबाद नारा लगाया,
जब ले गयी पकड़कर पुलिस तो भी वो तो न घबराया,
फाँसी पर चढ़ करकर भी जिसने भारत माँ का जयघोष लगाया,
हँसते हँसते प्राण दिये उसने वो तो यारो भगत सिंह कहलाया।
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