*फूल और काँटे*
याद अब तेरी आती नहीं,
बातें अब तेरी सताती नही।
ये जो खुशहाली का मंज़र हैं चेहरे पर मेरे,
ऑंखें नम हैं कबसे, धड़कने अब बताती नही।
भूलकर भी न भूल पाएं तेरे इश्क को,
क्या करें आदत प्यार करने की जाती नहीं।
रखरखाव और मरम्मत भी कर लिया इस मर्ज का
पर सरकार इस बीमारी की दवा बाज़ार में लाती नही।
चलना पड़ेगा तेरे बगैर भी इस जहां में,
इस रिश्तें की एहमियत ज़िंदगी अब बताती नही।
थक कर सो जाएं बिस्तर में, इन दिनों आँखें ऐसी नींद नैनों में बसाती नही। कॉटे सी तबीयत कर ले' अजीत,
प्यार की महक आजकल के लोगों को भाती नही।
©patel ji
#woaurmain #SAD