मुझे तलाश है कब से इक ऐसी महफिल की जहाँ शोर खामोशि | हिंदी शायरी

"मुझे तलाश है कब से इक ऐसी महफिल की जहाँ शोर खामोशियों का भी सुनता हो कोई ©wo_khwab_33"

 मुझे तलाश है कब से इक ऐसी महफिल की
जहाँ शोर खामोशियों का भी सुनता हो कोई

©wo_khwab_33

मुझे तलाश है कब से इक ऐसी महफिल की जहाँ शोर खामोशियों का भी सुनता हो कोई ©wo_khwab_33

#Alive
#कैदी_एक_ख़्वाब_का

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