चाहता आज भी हूं मैं उसे पागल की तरह वो जो प्यासा ह | हिंदी कविता

"चाहता आज भी हूं मैं उसे पागल की तरह वो जो प्यासा है मेरे खून का खटमल की तरह रंग को देख कर ठुकरा न मेरी जाने गज़ल अपनी आंखों में बसा ले मुझे काजल की तरह रोज बिजली की तरह मुझपे कड़कती हो सुनो एक दिन मैं भी बरस जाऊंगा बादल की तरह बिन तेरे तू ही बता कैसे घसीटूं इसको जिंदगी लगती है टूटी हुई चप्पल की तरह ©Pahadi"

 चाहता आज भी हूं मैं उसे पागल की तरह
वो जो प्यासा है मेरे खून का खटमल की तरह

रंग को देख कर ठुकरा न मेरी जाने गज़ल
अपनी आंखों में बसा ले मुझे काजल की तरह

रोज बिजली की तरह मुझपे कड़कती हो सुनो
एक दिन मैं भी बरस जाऊंगा बादल की तरह

बिन तेरे तू ही बता कैसे घसीटूं इसको
जिंदगी लगती है टूटी हुई चप्पल की तरह

©Pahadi

चाहता आज भी हूं मैं उसे पागल की तरह वो जो प्यासा है मेरे खून का खटमल की तरह रंग को देख कर ठुकरा न मेरी जाने गज़ल अपनी आंखों में बसा ले मुझे काजल की तरह रोज बिजली की तरह मुझपे कड़कती हो सुनो एक दिन मैं भी बरस जाऊंगा बादल की तरह बिन तेरे तू ही बता कैसे घसीटूं इसको जिंदगी लगती है टूटी हुई चप्पल की तरह ©Pahadi

#flowers चाहता आज भी हूं मैं उसे पागल की तरह
वो जो प्यासा है मेरे खून का खटमल की तरह

रंग को देख कर ठुकरा न मेरी जाने गज़ल
अपनी आंखों में बसा ले मुझे काजल की तरह

रोज बिजली की तरह मुझपे कड़कती हो सुनो
एक दिन मैं भी बरस जाऊंगा बादल की तरह

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