सिर्फ ख्वाब होते तो क्या बात होती,
मगर तुम तो ख्वाहिश बन बैठे,
वह भी बेइंतेहा ख्वाहिश,
जो सदियों तक, साँसें थमने बाद भी,
मेरी बंद आंखों में एक आंसू बन रह जाएगा।
मेरी मुठ्ठी में बंद लकीरों की
अधूरी उजड़ी किस्मत बन रह जाएगा।
मेरे सूखे होठों पे ठहरा हुआ,
कोई आखरी नग्मा सा रह जाएगा।
मेरी सीने में छुपे इस दिल की,
बस आखरी धड़कन बन के रह जाएगा।
ख़्वाब बनता तो हक़ीक़त की परवाह न होती,
मगर वो सख्श ख्वाहिश बन मेरी हलक में ,
चुभते कांटे की तरह रह जाएगा।
©Sheelalipi Nayak
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