ओए...... चल चलते हैं महाकाल के दरबार में बंट रही भ | हिंदी शायरी

"ओए...... चल चलते हैं महाकाल के दरबार में बंट रही भांग का वहां रसपान करेंगे। लोग कहते हैं भांग चढ़ जाती है...... तो क्या हुआ भांग पीकर झूमेंगे और झूमते हुए महाकाल का गान करेंगे। ©Abhishek Kumar"

 ओए...... चल चलते हैं महाकाल के दरबार में
बंट रही भांग का वहां रसपान करेंगे।
लोग कहते हैं भांग चढ़ जाती है......
तो क्या हुआ भांग पीकर झूमेंगे और
झूमते हुए महाकाल का गान करेंगे।

©Abhishek Kumar

ओए...... चल चलते हैं महाकाल के दरबार में बंट रही भांग का वहां रसपान करेंगे। लोग कहते हैं भांग चढ़ जाती है...... तो क्या हुआ भांग पीकर झूमेंगे और झूमते हुए महाकाल का गान करेंगे। ©Abhishek Kumar

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