ख़्वाहिश नहीं , दुनिया से लड़ जाने की। किसी तरह खुद | हिंदी Video

"ख़्वाहिश नहीं , दुनिया से लड़ जाने की। किसी तरह खुद को जीत सकूँ इतना काफी है। सामर्थ्य नहीं , मुखौटे हटा,उन्हें बेनकाब करने की । ग़ौर जरा खुद पर कर सकूँ इतना काफी है। हिम्मत नहीं, वो सारे दुःख दर्द मिटा पाने की। चेहरे पर बस एक मुस्कान ला सकूँ इतना काफी है। कशिश नहीं, मुरझाये फूलों में खुशबू की पर किसी तरह उनमें जान ला सकूँ इतना काफी है। आख़िर ख़्वाहिश ही नहीं , दुनिया से लड़ जाने की। पहले किसी तरह खुद को जीत सकूँ इतना काफी है। "

ख़्वाहिश नहीं , दुनिया से लड़ जाने की। किसी तरह खुद को जीत सकूँ इतना काफी है। सामर्थ्य नहीं , मुखौटे हटा,उन्हें बेनकाब करने की । ग़ौर जरा खुद पर कर सकूँ इतना काफी है। हिम्मत नहीं, वो सारे दुःख दर्द मिटा पाने की। चेहरे पर बस एक मुस्कान ला सकूँ इतना काफी है। कशिश नहीं, मुरझाये फूलों में खुशबू की पर किसी तरह उनमें जान ला सकूँ इतना काफी है। आख़िर ख़्वाहिश ही नहीं , दुनिया से लड़ जाने की। पहले किसी तरह खुद को जीत सकूँ इतना काफी है।

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