एक क़िताब, एक गुलाब,
और आँखों में मचलता एक ख़्वाब
एक बात, एक याद
एक अधूरी सी मुलाकात
कुछ होठों पर थम गईं,
कुछ पलकों से फिसल गईं
जो होते होते रह गई,
वो मासूम इश्क़ की बरसात,
कुछ वादे, कुछ इरादे...
जिनके सहारे गुज़र गईं कितनी रातें
पर अब भी उलझे उलझे से हैं
उन पहचाने रिश्तों के धागे...
©Navash2411
#नवश