WE WANT JUSTICE
Peom- क्या फर्क पड़ता है
क्या फर्क पड़ता है वह मेरी बहन थी या फिर कुछ और
थी तो वह एक मासूम बच्ची , वो अपने आंगन की कली थी
मां बाप की आंख का तारा बड़े अरमानों से पली थी
खुदा जिसके जीवन के तुम ही दाता थे
उसपे अन्याय हुआ, ये कैसी विधि तुम लिखे थे
ऐ खुदा मुझे नफरत है,तुझसे और खुदाई से...!
जो अपने घर मंदिर को निर्भया बनते देख रहा था
उस बच्ची पर जब जुल्म हुआ होगा, तब वो चीख_चीखकर कर रोई होगी
मुझ पर लिखा जाता कुछ भी नहीं है, मेरा कलेजा फटता है सोचो तो फिर मां कैसे सोई होगी
मां ने जिसे बड़े अरमानों से पाला था, जो जिंदी बची तो उसे उन हत्यारों ने काट डाला था
धर्म , अधर्म, नीति, निगाहों और वस्त्रो का मुद्दा बना डाला समझ में ये नहीं आता किसको दें दोष
जब होता है अत्याचार तब सभी क्यों होते हैं मदहोश
क्या फर्क पड़ता है।
अगर हम अभी ना सुधरे तो एक दिन ऐसा आएगा,
इस देश को बेटी देने में, भगवान भी घबराएगा
We want to justice ⚖️
Kolkata rape peom
writer by- Avinash dhakar
©it's - dhakarboy
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