किसी वेदों पुराणों में, समा सकती नही है मां प्रणे | हिंदी शायरी

"किसी वेदों पुराणों में, समा सकती नही है मां प्रणेता सृष्टि का है जो, उसे रचने वाली है मां शरद में धूप सी है वो, लगे गर्मी में शीतल छां अमीरी हो कि लाचारी, सदा शादाब सी है मां ©Rimpy Ankur Leekha"

 किसी वेदों पुराणों में, समा सकती नही है मां
 प्रणेता सृष्टि का है जो, उसे रचने वाली है मां

शरद में धूप सी है वो, लगे गर्मी में शीतल छां
अमीरी हो कि लाचारी, सदा शादाब सी है मां

©Rimpy Ankur Leekha

किसी वेदों पुराणों में, समा सकती नही है मां प्रणेता सृष्टि का है जो, उसे रचने वाली है मां शरद में धूप सी है वो, लगे गर्मी में शीतल छां अमीरी हो कि लाचारी, सदा शादाब सी है मां ©Rimpy Ankur Leekha

#mother❤️

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