***बंजारा*** चलता चल बंजारे ,हर मंजिल पाना है। जाग

"***बंजारा*** चलता चल बंजारे ,हर मंजिल पाना है। जाग समर सबेरे, घट-घट जाना है।। जब सारा जग सोये ,मदिरा सा प्याला पाये। तुम्है रात भर जाग,हाँ! लोह तपाना है।। तू धोतक चलने का,रूपक बलिदानों का। प्रतिछण त्याग कर, अन्त तक जाना है।। नभमण्डल पार की,तुम्है रोशनी पाना है। चलता चल बंजारे, हद पार जाना है।। ***मैरी कलम से*** शिव गोस्वामी"

 ***बंजारा***
चलता चल बंजारे ,हर मंजिल पाना है।
जाग समर सबेरे, घट-घट  जाना है।।
जब सारा जग सोये ,मदिरा सा प्याला पाये।
तुम्है रात भर जाग,हाँ! लोह तपाना है।।
तू धोतक चलने का,रूपक बलिदानों का।
प्रतिछण त्याग कर, अन्त तक जाना है।।
नभमण्डल पार की,तुम्है रोशनी पाना है।
चलता चल बंजारे, हद पार जाना है।।
***मैरी कलम से***
                                       शिव गोस्वामी

***बंजारा*** चलता चल बंजारे ,हर मंजिल पाना है। जाग समर सबेरे, घट-घट जाना है।। जब सारा जग सोये ,मदिरा सा प्याला पाये। तुम्है रात भर जाग,हाँ! लोह तपाना है।। तू धोतक चलने का,रूपक बलिदानों का। प्रतिछण त्याग कर, अन्त तक जाना है।। नभमण्डल पार की,तुम्है रोशनी पाना है। चलता चल बंजारे, हद पार जाना है।। ***मैरी कलम से*** शिव गोस्वामी

#merikalamse बंजारा कविता की कुछ पंक्तियाँ

People who shared love close

More like this

Trending Topic